Friday, April 8, 2011

भ्रष्टाचार और महंगाई पर अंकुश लगाना आज देश की सबसे बड़ी जरुरत है

भारतीय जनता युवा मोर्चा ने केन्द्र की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार-घोटाले, महंगाई और कालाधन वापसी पर उदासीनता को लेकर साजा विधानसभा की थानखम्हरिया नगर पंचायत में पैदल मार्च कर विरोध प्रदर्शन किया । इस दौरान साजा के आंदोलन प्रभारी व भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजेन्द्र पाध्ये, जिला भाजपा उपाध्यक्ष अजय तिवारी, एनजीओ प्रकोष्ठ जिला संयोजक सुरेन्द्र कौशिक, थानखम्हरिया नगर पंचायत अध्यक्ष ओमप्रकाश जोशी, भाजयुमो विशेष आमंत्रित सदस्य विरेन्द्र जोशी और साजा भाजयुमो मंडल अध्यक्ष संतोष साहू विशेष रुप से उपस्थित थे । नंगाडों की आवाज और कांग्रेस विरोधी नारों के साथ एक घंटे तक भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने नगर भर में पैदल मार्च किया । पैदल मार्च का समापन स्वामी विवेकानंद टाऊन हॉल में हुआ जहां परिचर्चा आयोजित की गई ।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए साजा के आंदोलन प्रभारी व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजेन्द्र पाध्ये ने कहा कि भ्रष्टाचार और महंगाई केन्द्र की कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है । भ्रष्टाचार और महंगाई के कारण पूरा देश खोखला हो रहा है । आज अन्ना हजारे जैसे समाजसेवी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है । पूरा देश से सिर्फ एक ही आवाज आ रही है- जाग उठा है हिन्दुस्तान, नही चलेगा भ्रष्टाचार । भ्रष्टाचार और महंगाई पर अंकुश लगाना आज देश की सबसे बड़ी जरुरत है । भाजपा ने संसद के अदंर और बाहर लगातार सचेत विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार को हर मुददे पर सतर्क किया है भाजपा ने सदन में अवरोध बनाकर कांग्रेस सरकार झुकाया और 1 लाख 75 हजार करोड़ के 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में जेपीसी का गठन करने के लिए मजबूर कर दिया । इससे पहले केन्द्र सरकार ने एक भ्रष्ट अधिकारी पी.जे. थामस को सुषमा स्वराज के विरोध के बावजूद भ्रष्टाचार निरोधक संवैधानिक संस्था सीवीसी का मुखिया बना दिया, भाजपा की आपत्ति को नही मानने का दुष्परिणाम कांग्रेस सरकार को भोगना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार के मुंह पर करारा तमाचा जड़कर सीवीसी की नियुक्ति को ही अवैध करार देकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है ।

जिला भाजपा उपाध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि भाजपा ने हमेशा जनहित के मुद्दों पर संघर्ष किया है और पार्टी आज गांव गांव में जाकर भ्रष्टाचार-महंगाई-कालाधन को लेकर जनजागरण की अलख जगा रही है । महंगाई का आलम यह है कि आम आदमी की जीना दूभर हो गया है । भ्रष्टाचार आज चरमसीमा में है और मनमोहन सिंह अपनी बेचारगी जताकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं । वास्तव में देश को किसी मासूम चेहरे वाले निष्क्रीय प्रधानमंत्री की नही बल्कि सबल और साहसिक निर्णय लेने वाले सक्षम प्रधानमंत्री की आवश्यकता है । जो प्रधानमंत्री महंगाई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में अपनी लाचारी दिखाये उसे पद में बने रहने का कोई हक नही है ।
भाजपा एनजीओ प्रकोष्ठ जिला संयोजक सुरेन्द्र कौशिक ने कहा कि कालेधन को लेकर कांग्रेस सरकार की निष्क्रीयता आश्चर्यजनक है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। विदेशो में जमा कालाधन राष्ट्रीय सम्पत्ति है कालाधन वापस पाना देश की जनता का हक है । इसके लिए भाजपा और युवा मोर्र्चा का संघर्ष जारी रहेगा ।
थानखम्हरिया नगर पंचायत अध्यक्ष ओमप्रकाश जोशी ने कहा कि महंगाई कांग्रेस की देन है जबकि कांग्रेस नेता महंगाई के लिए राज्य सरकार को दोषी बताकर भ्रम फैला रहे हैं जबकि यह महंगाई सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नही है बल्कि दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश में भी उतनी ही है । महंगाई पर नियंत्रण केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर निर्भर है जिसमें केन्द्र सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है ।

Friday, March 4, 2011

देश के सत्ताधीशों को मनमानी करने का हक नही है

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सीवीसी के पद पर पी जे थामस की नियुक्ति को अवैध घोषित करने से केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार की गतिविधियों पर प्रश्न चिन्ह लग गया है, लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिन पर गौर करने से ये बात साफ होती जा रही है कि मनमोहन सरकार की गतिविधियां भ्रष्टाचार को हतोत्साहित करने की बजाय पोषित करने वाली है । सीवीसी पद के लिए न्यायालयीन प्रकरण के दौरान भी केन्द्र सरकार ने अपने अर्टानी जनरल के माध्यम से शपथपत्र देकर न केवल नियुक्ति को जायज ठहराया बल्कि पी जे थामस को क्लीन चिट देते हुए उसे निष्कलंक और उत्कृष्ठ अधिकारी तक कहने से सरकार पीछे नही हटी ।
बहरहाल इस मामले में अब सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय से बनी परिस्थितियों के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से कटघरे में खड़ी हो गई है । केन्द्रीय सर्तकर्ता आयुक्त के पद की नियुक्ति हेतु बनी चयन समिति में सदस्य के रुप में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी चिदम्बरम और नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज शामिल थे । चयन के लिए हो रही बैठक के दौरान पी जे थामस के नाम पर नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज द्वारा आपत्ति के साथ ही विरोध भी दर्ज कराने के बावजूद मनमोहन सिंह और पी चिदम्बरम ने अपनी अपनी सहमति के आधार पर बहुमत का हवाला देते हुए नियुक्ति पर मुहर लगाई, आपत्ति और विरोध को दरकिनार करके नियुक्ति किये जाने से साफ होता है कि सहमति देने वाले दोनों ही सदस्य पी जे थामस को ही सीवीसी बनाने के लिए मानसिक रुप से तैयार होकर बैठक में आए थे ।
भ्रष्टाचार के मामलों की निगरानी के लिए बनाए गए सीवीसी जैसे पद के चयन के लिए बनी समिति में नेता प्रतिपक्ष को भी रखे जाने के पीछे संविधान में छिपी मूल भावना लोकतंत्र को मजबूत करने की ही है और दूसरा पहलू यह भी है कि विपक्ष की सार्थक भूमिका केवल सरकार का विरोध करना ही नही वरन् उसके गलत निर्णयों पर उसे सतर्क करना भी है जिसमें नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने पूरी तरह से अपनी भूमिका का निर्वहन किया लेकिन सरकार में बैठे दोनों ही सदस्यों ने इस विरोध को सकारात्मक रुप में न लेकर सिर्फ विपक्षी दल के नेता का औपचारिक विरोध मानकर बहुमत का हवाला देते हुए दागी व्यक्ति की नियुक्ति करके लोकतंात्रिक व्यवस्था का अपमान ही किया ।
सर्वोच्च न्यायालय में चले पूरे मामले के दौरान तमाम नौकरशाहों का प्रतिनिधित्व करते हुए पी जे थामस पदलोलुपता का एक ज्वलंत उदाहरण भी पेश कर गए । अपने पद पर काबिज रहने के लिए न्यायालय के समक्ष जितने भी प्रपंच कर सकते थे वे करते रहे कभी स्वयं को असंदिग्ध ईमानदार कहते हुए निर्लज्जता के साथ बचाव किया तो कभी देश के दागी सांसदों और विधायकों का हवाला देते हुए स्वयं को सीवीसी के पद के उपयुक्त बताया ।
सीवीसी जैसी देश की सर्वोच्च भ्रष्टाचाररोधी संस्था की गरीमा को समाप्त कर उसे खोखला करने की सत्ताधीशों की हरकत न्यायपालिका को पसंद नही आई और सर्तक न्यायपालिका ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए यह जता दिया कि देश के सत्ताधीशों को मनमानी करने का हक नही है ।